How to trace फोन location according police

                                    How to trace फोन location















पुलिस किसी भी क्रिमिनल को ट्रेस करने के लिए Triangulation Method का उपयोग करती है . जैसा की आप सभी जानते है की सभी फ़ोन में एक सिम होता है जो किसी न किसी नेटवर्क टावर से कनेक्ट रहता है, जिसके वजह से हमें सिग्नल स्ट्रेंथ से क्रिमिनल और टावर के बिच का डिस्टेंस या फिर रेंज का पता लगाया जा सकता है . हालांकि यह अनुमान अलग अलग नेटवर्क के लिए अलग अलग होता है . जैसे मान लिए की यदि आपका सिम 2जी सिम है तो इसका रेंज अलग होगा, वैसे ही यदि आपका सिम 3जी या 4जी है तो इसका रेंज काफी अलग होगा .






अब पुलिस उस नेटवर्क प्रोवाइडर को कॉल करके पता करती है की वह फ़ोन आखिर टावर से कितनी दुरी पर है . अब मान लीजिये की पुलिस को यह पता चला की फ़ोन एक टावर से 100मीटर की दुरी में है तो उसका दिशा का अनुमान लगाना मुस्किल है तो ये भी हो सकता है की फ़ोन चारो दिशा के किसी भी दिशा में मौजूद हो सकता है .




अब इस बिच पुलिस को यह पता चलता है की फ़ोन एक टावर से 100 मीटर की दुरी पर जबकि दुसरे टावर से 200 मीटर की दुरी पर है, फिर भी पुलिस को कोई ऐसा पॉइंट नहीं मिलेगा जिससे हम ये पता कर सके की फ़ोन किस पॉइंट में मौजूद है . और मिल भी गया था यह पता करना आसान नहीं होगा की .

अब आखिर में पुलिस के पास एक फ़ोन की 3 टावर से डिस्टेंस का पता लगजाये की 1 टावर से 100 मीटर 2 टावर से 200 मीटर और 3 टावर से 300 मीटर की दुरी में है तो ऐसे में उस फ़ोन का केवल एक ही पॉइंट मिलेगा जिससे उसको ट्रेस करना आसान हो जायेगा .




जब कोई नया फ़ोन खरीदता है तो उस फ़ोन में I M E I NUMBER रहता है वैसे तो सभी फोनो में I M E I NUMBER रहता है तो उसी नौबेर से लोकेशन ट्रेक होती है कुकी सभी सिम IMEI पर चलते है तो जैसे ही कोई अपना सिम लगता है तो वह IMEI एक्टिव हो जाती है जैसे ही उस सिम से कॉल लगाती जाती है तो वह कॉल ट्रेस हो जाती है यदि उस नंबर से दूसरे नंबर से यदि बात होती है  तो फिर उस नंबर पर पुलिस वाले बात कर के पूरी डिटेल निकल लेते है और इस तरह लोकेशन का भी पता चल जाता है





और कुछ  टेक्नोलॉजी की मशीन से भी टावरों के जरिये भी हमारे फोन की लोकेशन को ट्रेक कर करलिया जाता है जो की पुलिस वालो का एक डिपार्टमेंट ही बना रहता है जो की उनका काम ही रहता है की यदि कोई साइबर क्राइम  होता है तो उस पर नजर रखते है  ये सब होने के बाद भी कुछ चोर होते है की मोबाइल की IMEI ही चेंज करदेते है मार्किट मई कुछ ऐसे सॉफ्टवेर मिल जाते है की फ़ोन की IMEI आसानी से बदला जा सकता है तो इस तरह भी लोकेशन नहीं ट्रेस हो पाती  है और है दोस्तों एक ही IMEI पर कई फ़ोन और सिम को चलाया जाता है

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