CHIPKO MOVEMENT KA आज है 45 व ANNIVERSARY

                              CHIPKO MOVEMENT

नामस्कार दोस्तो जैसे कि हम लोग जानते है कि हमारे भारत मे इस चिपको आंदोलन का कितना महत्व है तो हम जानते है कुछ जानकारी ।
चिपको आंदोलन की 45वीं वर्षगांठ पर गूगल ने डूडल बनाकर उसे सेलिब्रेट किया है। चिपको आंदोलन की आरंभ 1970 के दशक में पर्यावरण संरक्षण के लिए हुई थी। चिपको आंदोलन ने तत्कालीन पीएमइंदिरा गांधी को हिमालय में वनों की कटाई पर 15 वर्ष के लिए रोक लगाने, 1980 का वन कानून बनाने के लिए बाध्य किया था, वराष्ट्र में बाकायदा पर्यावरण मंत्रालय बना था।गांधीवादी कार्यकर्ता व पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) के चमोली जिले के गोपेश्वर गांव में 1964 में ‘दशोली ग्राम स्वराज्य संघ’ की स्थापना की थी, जिसके तहत ही मार्च 1973 में चिपको आंदोलन प्रारम्भ हुआ.स्त्रियों ने इसमें खास किरदार निभाई थी, व वे वन विभाग के ठेकेदारों से वनों को बचाने के लिए पेड़ों से चिपक जाती थी।श्रीमती गौरादेवी के नेतृत्व में चिपको-आंदोलन प्रारम्भ किया गया था। आज प्रकृति के प्रति प्रेम दर्शाते इस चिपको आंदोलन की 45वीं सालगिरह है। इस मौका पर गूगल ने भी चिपको आंदोलन का डूडल जारी करके, आंदोलन के प्रति सम्मान प्रकट किया है।
बिना किसी हिंसा या उपद्रव के यह आंदोलन चलाया गया था, शांति व प्रेम के साथ पेड़ों की कटाई रोकने के लिए यह आंदोलन चलाया गया था। चिपको आंदोलन को प्राय: एक महिला आंदोलन के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसके अधिकतर कार्यकर्ताओं में महिलाएं ही थीं तथा साथ ही यह आंदोलन नारीवादी गुणों पर आधारित था। एक समय जब जोधपुर के महाराजा ने जब पेड़ों को काटने का आदेश दिया था तब लोकल महिलाएं पेड़ से यह कहते हुए चिपक गई थीं कि ‘‘पेड़ नहीं, हम कटेंगी’’, इस अहिंसक प्रतिरोध का किसी के पास उत्तर नहीं था व इस तरह उन्होंने पेड़ों को कटने से बचा लिया।
इस प्रकार हम देख सकते हैं कि जंगलों की अंधाधुंध कटाई के विरूद्ध आवाज उठाने में महिलाएं कितनी सक्रिय रहीं हैं, इस आंदोलन के जरिए उन्होंने यह भी दर्शाया कि किस प्रकार महिलाएं पेड़-पौधे से संबंध रखती हैं वपर्यावरण के विनाश से कैसे उनकी तकलीफें बढ़ जाती हैं। आज जब हम विज्ञान की ऊँचाइयों को छू रहे हैं तब भी हमारी जरूरत की पूर्ती प्रकृति से ही होती है, प्रकृति को इसीलिए माता बोला जाता है क्योंकि वह हमारा पालन पोषण करती
चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी थीं, जिन्हें चिपको विमन के नाम से भी जाना जाता है। आज का गूगल डूडल चिपको मूवमेंट को याद करने के लिए बनाया गया है। डूडल में पेड़ के चारों तरफ महिलाओं को एक-दूजे का हाथ पकड़कर घेरा बनाए हुए देखा जा सकता है।तो इस तरह हमारे समाज के लोग और खास कर औरते इस का ज्यादा हिस्सा रही ।

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